प्रतिध्वनि......
संवाद-प्रेरणा कर्म की
प्रतिध्वनि में है ऐसा संवाद है
जो रचनात्मकता और
विचारशीलता की भावभूमि रचता हो.
प्रतिध्वनि में समाहित है ऐसी
प्रेरणा जो सृष्टि की सुंदरता को समृध्द करे
उसे उत्साह,उमंग और सकारात्मक सोच से भरे.
प्रतिध्वनि में उस कर्म की गंध है
जो सार्थक संवाद और प्रेरणा से मिली
ऊर्जा को सुकर्म में रूपांतरित करे.
प्रतिध्वनि अनुपालन है
उस सत्य का जो शाश्वत है
प्रतिध्वनि अनुगामी है उस धर्म की
जो दूसरे धर्म को समान रूप से आदर देती हो.
प्रतिध्वनि उस शांति की संवाहक है जिससे
परिवेश और समाज सर्वशक्तिमान के अनुचर
के रूप में समभाव और सौजन्य में यक़ीन करता हो.
प्रतिध्वनि प्रसार है उस प्रेम का जो मानव-मात्र
ही नहीं इस चराचर जगत के समस्त प्राणियों के
प्रति स्नेह से भरा हुआ हो.
प्रतिध्वनि अनुसरण करती है अहिंसा का जिसमें
वाणी के स्तर भी किसी के साथ कोई अप्रियता न हो.
हम उस प्रतिध्वनि का वंदन करते हैं
जो इस अखिल विश्व को वसुधैवकुटुम्बकम की भावना से जोड़ती है.
हे सर्वशक्तिमान ! हम पर अपनी अनमोल कृपा बरसा दो जिससे
जो प्रतिध्वनि और हममें समाहित हो जाए और हम
अपने विचार,कर्म और चिंतन से इस दुनिया को स्नेह,सकारात्मकता,
इंसानियत, करूणा और प्रगतिशीलता की पावन भावनाओं से
सुरभित कर सकें.
आमीन.
Script and Voice Over:Sanjay Patel
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